लेखनी कविता -अनगिनत ख्वाब

1 Part

12 times read

0 Liked

अनगिनत ख्वाब, मेरी पलकों पर उतर आए हैं, जिनमें मैंने, जीवन के, सुनहरे पल सजाए हैं, सपनों को मालूम होगा, कि पूरा उन्हें, मैं कर पाऊंगी, देर ही सही, धीरे धीरे, ...

×